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Bhagwat Geeta Chapter 1 Shloka 1 with meaning in Hindi, भगवद्गीता के पहले अध्याय का पहला श्लोक

Bhagwat Geeta Chapter 1 Shloka 1 with meaning in Hindi, भगवद्गीता के पहले अध्याय का पहला श्लोक

Bhagwat Geeta Chapter 1 Shloka 1 with meaning in Hindi, भगवद्गीता के पहले अध्याय का पहला श्लोक
Bhagwat Geeta Chapter 1 Shloka 1 with meaning in Hindi,
भगवद्गीता के पहले अध्याय का पहला श्लोक


भगवद्गीता श्लोक -

BHAGWAT GEETA एक ऐसा ग्रंथ है जो पिछले 5000 वर्षों से आज भी प्रासंगिक है |


इसमें लिखी हुई बातें आज भी कहीं ना कहीं हमारे जीवन में उपयोग में लाई जाती है |


चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो, व्यापार में हो, नौकरी में हो या फिर घर गृहस्थी में क्यों ना हो |


Bhagwat Geeta Chapter 1 


आज हम भगवद्गीता के पहले अध्याय यानी अर्जुन विषाद योग नामक अध्याय के बारे में पढ़ेंगे जो किस प्रकार इस प्रकार है | 


Bhagwat Geeta Shlok 1 In Hindi Chapter 1

धृतराष्ट्र उवाच - 

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः |

मामकाः पाण्वाश्चेव किमकुर्वत सञ्जय ||


शब्दार्थ - 

धृतराष्ट्र उवाच - धृतराष्ट्र ने कहा, 

धर्मक्षेत्रे - धर्म भूमि, 

कुरुक्षेत्रे - युद्ध के मैदान में, 

समवेता - इकट्ठा होना, 

युयुत्सवः - युद्ध की इच्छा रखने वाले, 

मामकाः - मेरे, 

पाण्डवाः - पांडु पुत्रों ने, 

- तथा, 

एव - निश्चय ही, 

किम् - क्या, 

अकुर्वत - किया, 

सञ्जय - संजय | 


Bhagwat Geeta in Hindi

धृतराष्ट्र ने कहा कि -

धर्मक्षेत्रे यानी धर्म की भूमि में कुरुक्षेत्रे यानी युद्ध के मैदान में समवेता यानी इकट्ठा होकर युयुत्सवः यानी युद्ध की इच्छा रखने वाले मामकाः यानी मेरे पांडवाश्चेव यानी पांडु पुत्र ने किमकुर्वत संजय यानि क्या किया संजय | 


कुल मिलाकर - धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा कि धर्म की भूमि कुरूक्षेत्र क्षेत्र में इकट्ठा होकर मेरे तथा पांडव के पुत्रों ने क्या किया | 


इस प्रकार से - भगवद्गीता के पहले अध्याय अर्जुन विषाद योग के पहले श्लोक में राजा धृतराष्ट्र, संजय से पूछते हैं कि धर्म भूमि युद्ध भूमि कुरुक्षेत्र में इकट्ठा होकर युद्ध की इच्छा रखने वाले मेरे तथा पांडु के पुत्रों ने क्या किया |