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deepawali kab hai 2023 mein - दीपावली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त - दीपावली क्यों मनाते है ?

deepawali kab hai 2023 mein - दीपावली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त - दीपावली क्यों मनाते है ? 


deepawali kab hai 2023 mein - दीपावली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त - दीपावली क्यों मनाते है ? 

दीपावली शब्द संस्कृत भाषा के दीपावलि शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है एक ही कतार में रखे दीपक |

यह शब्द दो शब्दों के योग से मिलकर बना है दीप+आवलि = दीपावली |

जिसका शाब्दिक अर्थ होता है एक ही कतार यानि पंक्ति में रखे दीपक |

हमारे देश में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों में से इस त्यौहार का महत्त्व काफी माना जाता है |

इस त्यौहार का सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से काफी अधिक महत्त्व है |

लोग इस त्यौहार को दीपोत्सव भी कहते हैं, जिसका अर्थ होता है दीपक का पर्व यानि दीपक का त्यौहार |

कुछ लोग इसे दीपावली, तो कुछ लोग इसे दीपाली या दीपालि, तो कहीं कहीं पर इसे दीवारी और दीपोत्सव भी कहते हैं |

अक्सर लोग इसे दिवाली भी कहते हैं इसके अलावा अलग अलग भाषाओँ में इसे अलग अलग नामों से भी जाना जाता है |

 

दीपावली पर्व क्या है ?

यह पर्व करोड़ों हिन्दुओं का एक विशेष त्यौहार है और यह आस्था का एक प्रतिक है |

लोग इस पर्व को बड़े ही धूमधाम और हर्ष, उल्लास से मनाते हैं |

यह पर्व को सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोग भी बड़े ही हर्ष उल्लास से मनाते हैं और सिख समुदाय तो इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं |

दिवाली का त्यौहार हमें अंधकार से प्रकार की और ले जाने का प्रतिक है और लोग इस दिन को माता लक्ष्मी भी पूजा आराधना भी करते हैं |

यह पर्व साफ सफाई और रौशनी का पर्व है और इस त्यौहार की तैयारी लोग दीपावली के 10 से 15 दिन पहले ही करने लगते हैं |

 

दीपावली पर्व क्यों मनाते हैं ?

यह त्यौहार हमारे लिये सुख, शांति और सम्रद्धि का त्यौहार माना जाता है और हम भी इसे बड़े ही हर्ष के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं |

कहा जाता है कि जब भगवान् श्री राम अपने 14 साल के वनवास के बाद जब रावण का वध करके अयोध्या में आये तो उस समय पूरी अयोध्या नगरी को एक लाइन में दीयों को जलाकर रोशन किया था |

उस समय कार्तिक महीने की अमावस्या को पूरी अयोध्या नगरी को ऐसा सजाया की वह काली रात्रि भी दीयों की रौशनी से जगमगा उठी थी |

तब से ही दीपावली पर्व मनाया जाने लगा और फिर यह हमारे लिये एक त्यौहार बन गया |

कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन माता लक्ष्मी का जन्म भी हुआ था, इसलिये दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना महत्वपूर्ण माना जाता है |

 

दीपावली की तैयारी कैसे की जाती है ?

इस त्यौहार की तैयारी लोग 10 से 15 पहले ही करना प्रारम्भ कर देते हैं |

लोग अपने घर की साफ सफाई, अपनी दुकानों की साफ सफाई करते हैं |

 

दीपावली का त्यौहार कैसे मनाते हैं ?

हम सभी दिवाली के त्यौहार पर पटाखे जलाते है और हम सभी अपने अपने घरों में नए नए पकवान बनाते है और फिर हम इस पर्व पर लक्ष्मी पूजा भी करते हैं |

 

दीपावली कब है 2023

हिन्दू केलेंडर के अनुसार – दीपावली इस वर्ष 2023 में 12 नवम्बर 2023 को मनाई जायेगी |

दीवाली का त्यौहार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है और लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार भी कर रहे हैं |

 

दीपावली शुभ मुहूर्त 2023

अगर हम दीपावली पर्व के शुभ मुहूर्त की बात करें तो 12 नवम्बर 2023 को 02:44 मिनट से अमावस्या तिथि प्रारम्भ है और 13 नवम्बर 2023 को 02:56 तक अमावस्या तिथि का समापन हो जायेगा |

 

दीपावली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त 2023

अब अगर हम दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त के बारे में बात करे तो 12 नवम्बर शाम 05:20 मिनट से शाम 07:15 मिनट तक रहेगा |

 

दीपावली लक्ष्मी पूजन की विधि

अब अगर कहा जाए कि दीपावली लक्ष्मी पूजन विधि की तो उस दिन आपको सबसे पहले पूजन का मुहूर्त देखकर घर की साफ सफाई करना है |

इसके पश्चात् आपको मंदिर को दीपक और फूलों से सजाना है और फिर माँ लक्ष्मी के साथ गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करना है |

फूल और अक्षत से गणेश जी और माँ लक्ष्मी की प्रतिमा का पूजन करें और फिर रोली, चन्दन का तिलक लगायें |

इसके बाद फूलों की माला अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाकर घी का दीपक जलाएं |

अब माँ लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा की आरती से पूजन का समापन करें और फिर इनसे सुख, शांति और सम्रद्धि की कामना करें |

 

दीपावली का महत्त्व

दोस्तों, यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतिक है और यह त्यौहार ही रौशनी का त्यौहार है |

Dipawali पर्व को लोग पांच दिनों तक मानते हैं जैसे कि दिवाली का पहला दिन धनतेरस, दूसरा दिन रूप चौदस, तीसरा दिन अमावस्या यानि लक्ष्मी पूजा, चौथा दिन गोवर्धन पूजा और पांचवा दिन भाई दूज |

मान्यता है कि कार्तिक महीने की अमावस्या को भगवान् राम, लक्ष्मण और सीता अपने वनवास से अयोध्या लौटे थे |

कहा जाता है कि कार्तिक महीने की अमावस्या को ही माता लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था |

कहा जाता है कि लक्ष्मी पूजा के दौरान माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर अपने भक्तों के घर पर सुख, शांति और समृद्धि देने के लिये आती है |

भक्त भी माता लक्ष्मी के स्वागत में दीपक जलाकर उनका पूजन करते हैं |

 

Desclaimer- दोस्तों, यह पोस्ट हमने इन्टरनेट के माध्यम से ली है और इसमें किसी भी मुहूर्त, विधि, आदि पर कोई भी गारंटी नहीं लेते हैं |

एक बार आप पूजन विधि से पहले, या मुहूर्त के बारे में आप अपने नजदीक ज्योति या अपने अनुसार उसे कन्फर्म अवश्य करें |