ताप्ती नदी के बारे में जानकारी - ताप्ती नदी परियोजना - tapti nadi
ताप्ती नदी के बारे में जानकारी - ताप्ती नदी परियोजना - tapti nadi |
ताप्ती नदी पश्चिम भारत की एक प्रसिद्ध नदी है जिसे संस्कृत और मराठी में तापी कहा जाता है |
ताप्ती नदी –
यह नदी पूर्व से पश्चिम की और बहने वाली नदी है और यह मध्यप्रदेश से
निकलकर गुजरात और महाराष्ट्र में बहती हुई अरब सागर में गिरती है |
ताप्ती नदी का उद्गम स्थल –
ताप्ती नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील की सतपुडा
पर्वत श्रेणी से निकलती है | यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली एक प्रमुख
नदी है |
ताप्ती नदी का नाम –
इस नदी का उद्गम स्थल बैतूल जिले के मुलताई नामक एक स्थान पर है और इस
स्थान का मूल नाम मूल तापी है जिसका अर्थ होता है तापी का मूल या फिर तापी माता |
ताप्ती नदी का उपनाम –
tapti nadi के अनेक उपनाम है जिनमें से सूर्यपुत्री, तापी और आदिगंगा आदि
है |
ताप्ती नदी की लम्बाई –
tapti nadi अपने उद्गम स्थल से निकलकर 740 किलो मीटर तक का सफ़र तय
करती है इसकी कुल लम्बाई 724 किलो मीटर है |
ताप्ती नदी की सहायक नदियाँ –
इस नदी की अनेक सहायक नदियाँ है जिनमें से इसकी प्रधान सहायक नदिया है
- पूर्णा नदी, अरुणावती नदी, मिन्धोला नदी, पंजारा नदी, वाघुर नदी, गिरना नदी,
गोमती नदी, आनेर नदी, शिवा नदी और बोरी नदी है |
इसके अलावा इस नदी की और भी सहायक नदी है जो इस प्रकार है – गादग नदी,
खांडू नदी, बुर्शी नदी, नेसु नदी, सुरखी नदी, बुरई नदी नेर नदी, बाकी नदी, सिपना
नदी, गंजल नदी, तिगरी नदी, तबा नदी, खपरा नदी और आम्भोरा नदी |
ताप्ती नदी की विशेषता –
इस नदी की विशेषता यह है कि इस नदी के नाम के आधार पर ही अगस्त 1915
में थाईलैंड की तापी नदी का नाम तापी नदी रखा गया |
ताप्ती नदी के बारे में जानकारी - ताप्ती नदी परियोजना - tapti nadi |
यह नदी भारत की उन प्रमुख नदियों में से एक नदी है, जो पूर्व से
पश्चिम की ओर बहती है जैसे नर्मदा नदी, माही नदी और ताप्ती नदी |
इस नदी पर समुद्र के पास में 32 मील की लम्बाई में ज्वार आता है और इस
नदी के मुहाने पर सूरत बन्दरगाह स्थित है | अंग्रेजों के इतिहास में इस नदी के
मुहाने पर सवाली बंदरगाह का काफी महत्व था, यह बंदरगाह अब उजड़ गया है |
ताप्ती नदी किनारे बसे प्रमुख शहर –
इस नदी के किनारे अनेक शहर है और इन शहरों की रोनक इस नदी के द्वारा
है |
मध्य प्रदेश –
मध्य प्रदेश में इस नदी के तट पर मुलताई, बैतूल, बुरहानपुर और नेपानगर
शहर स्थित है |
गुजरात –
गुजरात में इसके तट पर सुरत, तापी और सोनगढ़ स्थित है |
महाराष्ट्र –
महाराष्ट्र में इसके तट पर भुसावल, नंदुरबार, नासिक, जलगांव, धुले,
अमरावती, अकोला, बुल्डाना और वासिम आदि शहर इसके किनारे स्थित है |
ताप्ती नदी पर स्थित बांध –
इस नदी पर अनेक बाँध स्थित है और इन बाँध का उपयोग किसी निश्चित
उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है |
काकडापुर बाँध –
उकाई बांध –
जैकवाडी बांध –
हथनुर बांध –
ताप्ती नदी के सात कुण्ड –
इस नदी के उद्गम स्थल
मुल्तापी और उसके सीमावर्ती क्षेत्र में सात कुण्ड बने हुए है और इन कुण्ड को
अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है | साथ ही इन कुण्ड के बारे में अनेक प्रकार की
कहानियां भी प्रचलित है –
सूर्यकुण्ड –
इस नदी पर सात कुण्ड में से एक कुण्ड का नाम सूर्यकुण्ड है और कहा
जाता है कि इस कुण्ड में सूर्य देवता ने स्वयं आकर स्नान किया था इसलिए इस कुण्ड
का नाम सूर्यकुण्ड पड़ा |
धर्म कुण्ड –
कहा जाता है कि यंहा पर स्वयं यमराज (धर्मराज) ने स्नान किया था जिसके
कारण इसे धर्म कुण्ड कहा जाता है |
ताप्ती कुण्ड –
कहा जाता है कि सूर्य देवता के प्रकोप से पशु-पक्षी मानव, दानव की
रक्षा करने के लिए ताप्ती माता के पसीने की तीन बूंद गिरी | एक बूंद आकाश में और
दूसरी बूंद धरती लोक पर और तीसरी बूंद पाताल लोक पर गिरी, कहा जाता है कि एक बूंद
धरती लोक पर इस कुण्ड पर गिरी और आगे चलकर यह एक बहती हुई एक नदी बन गयी |
पाप कुण्ड –
कहा जाता है कि इस कुण्ड में अगर कोई पापी व्यक्ति भी सच्चे मन से
सूर्यपुत्री ताप्ती का ध्यान करके स्नान करता है तो उसके भी सारे पाप धुल जाते है
इसलिये इस कुण्ड का नाम पाप कुण्ड पड़ा |
नारद कुण्ड –
कहा जाता है कि एक समय देवर्षि नारद को पुराण की चोरी के कारण कोढ़ का
श्राप मिल गया था उसके बाद देवर्षि नारद ने इस नदी में स्नान किया और फिर ताप्ती
माता की बारह वर्षो तक की तपस्या की और फिर उन्होंने ताप्ती माता से वरदान प्राप्त
किया और अपने श्राप से भी मुक्ति पायी |
शनि कुण्ड –
कहा जाता है कि शनि देव इसी कुण्ड में स्नान करने के बाद अपनी बहन
ताप्ती के घर मिलने गये थे इसलिये इस कुण्ड का नाम शनि कुण्ड पड़ा | कहा जाता है कि
इस कुण्ड में स्नान करने से मनुष्य को शनि दशा से भी लाभ मिलता है |
नाग बाबा कुण्ड –
यह कुण्ड नाग संप्रदाय के नाग बाबाओं का कुण्ड है जिन्होंने यंहा पर
कठोर तपस्या की थी और भगवान शिव को प्रसन्न किया था | इस कुण्ड के पास सफ़ेद जनेऊ
धरी शिवलिंग भी है इसलिए इस कुण्ड को नाग बाबा कुण्ड कहा जाता है |
ताप्ती नदी के किनारे दार्शनिक स्थल –
इस नदी के किनारे अनेक दार्शनिक स्थल है जिनमें से कुछ इस प्रकार है –
ताप्ती नदी के बारे में जानकारी - ताप्ती नदी परियोजना - tapti nadi |
इस नदी के तट पर असीरगढ़ किला है और इस किले को लोग दूर दूर से देखने
के लिये आते है और गुजरात में इसके तट पर रज्जू सेतु भी है |
मुहाना –
ताप्ती नदी अपने उद्गम से निकलकर 740 किमी तक का सफ़र तय करने
के बाद खम्बात की खाड़ी में मिलती है और अरब सागर में समाहित हो जाती है |
पौराणिक कथाओं के अनुसार –
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ताप्ती भगवान सूर्य और छाया की पुत्री है
और ये शनि देवता की बहन है |
महाभारत, स्कंद्पुरण और भविष्य पुराण के अनुसार –
ताप्ती नदी का विवाह संवरण नाम के राजा के साथ हुआ था और कहा जाता है कि इनका अवतार वरुण देवता का था |