पार्वती नदी के बारे में विस्तार से जानकारी - Parvati River in hindi |
पार्वती नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान में बहने वाली एक
प्रमुख नदी है और यह नदी विंध्यांचल की पश्चिमी श्रेणियों से निकलती है |
पार्वती नदी का उद्गम –
इस नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा तहसील में
पीथापुरा (सिद्दिकिगंज) नामक स्थान के निकट पीथापुरा झील से हुआ है |
लम्बाई –
यह नदी ज्यादातर मध्य प्रदेश में बहती है और लगभग 300 से भी अधिक किलो
मीटर के क्षेत्र में मध्य प्रदेश में बहती है और इसकी कुल लम्बाई 436 किलो मीटर है
|
पार्वती नदी भारत के कौन से राज्य में बहती है –
यह नदी भारत के दो राज्यों में बहने वाली नदी है, जो कि मध्य प्रदेश
और राजस्थान में बहती है |
मध्य प्रदेश में पार्वती –
यह नदी मध्य प्रदेश के चार जिलों से होकर गुजरती है जिनका नाम सीहोर,
राजगढ़, गुना और श्योपुर है |
राजस्थान में पार्वती –
यह राजस्थान के तीन जिलों से होकर गुजरती है और यह जिले बारां, कोटा
और सवाई माधोपुर है |
सहायक नदियाँ –
यह नदी अपने उद्गम मध्य प्रदेश से निकलकर राजस्थान में प्रवेश करती है
और फिर चम्बल नदी में मिल जाती है | इस नदी की सहायक नदियाँ लासी नदी, बरनी नदी,
अँधेरी नदी, विलास नदी, बैथली नदी आदि इसकी सहायक नदियाँ है |
उपनाम –
इस नदी का उपनाम पारा है |
विशेषता –
यह नदी चम्बल नदी की मुख्य तीन सहायक नदियों में से एक है जिनका नाम
बनास नदी, कालीसिंध नदी और पार्वती नदी है और राजस्थान के बारां जिले में
इस नदी के किनारे पूर्वी तट पर रामगढ़ क्रेटर 3.2 किलो मीटर में फैला हुआ है |
पार्वती नदी के बारे में विस्तार से जानकारी - Parvati River in hindi
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के पालिन गाँव के पास इस नदी के मुहाने
पर राष्ट्रीय घड़ियाल अभ्यारण स्थित है और यह नदी विंध्यांचल पर्वत श्रंखलाओं की
श्रेणी से 610 मीटर की ऊंचाई से निकलती है |
पार्वती नदी के किनारे बसे शहर –
इस नदी के किनारे अनेक छोटे बड़े शहर बसे हुए है | यह नदी मऊ, मोंगरा,
गावा, मर्हती, आष्टा आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित है |
पार्वती नदी पर बने बांध –
इस नदी पर रामपुर डेम बना है |
संगम –
यह नदी मध्य प्रदेश में बहने के बाद राजस्थान में प्रवेश करती है और
यह नदी राजस्थान के सवाई माधोपुर और मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले की सीमा पर पाली
नामक स्थान पर चम्बल नदी में समाहित हो जाती है |
पौराणिक कथाओं के अनुसार –
संस्कृत भाषा के महान विद्वान महाकवि कालिदास के उपन्यास “मेघदूत” में
इसका वर्णन मिलता है और महाभारत एवं भीष्मपर्व में भी इस नदी का उल्लेख मिलता है |
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