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vyas nadi के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी - vyas river in hindi

vyas nadi के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी - vyas river in hindi

व्यास नदी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी - vyas river in hindi
व्यास नदी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी 
 
vyas nadi भारत के पंजाब राज्य की पांच प्रमुख नदियों में से एक नदी है 

और यह नदी हिमाचल प्रदेश और पंजाब में बहने वाली एक प्रमुख नदी है |



    vyas nadi का उद्गम 

    इस नदी का उद्गम भारत के हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में 

    रोहतांग दर्रा के पास में व्यास कुण्ड से 4330 मीटर की ऊंचाई से हुआ है |

     

    व्यास नदी की लम्बाई 

    इस नदी की हिमाचल प्रदेश में लम्बाई 256 किलो मीटर और 

    पंजाब में लम्बाई 214 किलो मीटर है और इसकी कुल लम्बाई 470 किलो मीटर है |

     

    Vyas nadi के उपनाम 

    इस नदी को वैदिक काल में अर्जिकिया (अर्जिकी) कहा जाता था 

    और इस नदी का संस्कृत नाम विपाशा है | 

    इसके अलावा ग्रीक भाषा में इस नदी को हाएकेसिस कहा जाता है |

     

    व्यास नदी भारत को कितने राज्यों में बहती है

    यह नदी भारत के दो राज्यों में बहती है, जिनका नाम हिमाचल प्रदेश और पंजाब है |

     

    व्यास नदी किनारे बसे शहर 

    व्यास नदी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी - vyas river in hindi
    व्यास नदी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी - vyas river in hindi

    इस नदी के किनारे अनेक शहर स्थित है, जिनमें से कुछ प्रमुख शहर इस प्रकार है –


    हिमाचल प्रदेश में व्यास नदी 

    यह नदी हिमाचल प्रदेश में कुल्लू, मनाली नादौन, बदायूँ, नगर, लारची, भुंतर, जगतसुर, 

    कटरेन, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, पंडोह, बाजौरा, देहरा गोपीपुर, सुजानपुर टिहरी, 

    ओट आदि छोटे बड़े शहरों से होकर गुजरती है |


    पंजाब राज्य में व्यास नदी 

    यह नदी पंजाब राज्य में पठानकोट, कपूरथला, होशियारपुर आदि अनेक शहरों से होकर गुजरती है |

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    Vyas nadi की सहायक नदियों के नाम 

    इस नदी की अनेक सहायक नदियाँ है, 

    जिनमें से पार्वती नदी, ऊहल नदी, बानगंगा नदी, सैंज नदी, चक्की नदी, 

    लूनी नदी, तीर्थन नदी आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ है |


    इसके अलावा गजखड नदी, बैन नदी, आवा नदी, हारला नदी, पतली खुल नदी, 

    सुकेती नदी, बानेर नदी, बिनवा नदी आदि इस नदी की सहायक नदियाँ है |

     

    व्यास नदी की विशेषता 

    यह नदी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के व्यास कुण्ड से निकलती है और यह कुण्ड 

    पीर पंजाल पर्वत श्रेणी पर स्थित रोहतांग दर्रे पर है | 

    साथ ही यह नदी रोहतांग दर्रे से कुल्लू घाटी से होकर बहती है तथा कांगड़ा घाटी तक जाती है |


    इस नदी के किनारे वशिष्ठ गर्म पानी का झरना और कलक गर्म पानी का झरना है और 

    इस नदी के किनारे महर्षि वेदव्यास ने तपस्या की थी, 

    इसलिये इस नदी का नाम महर्षि वेदव्यास के नाम पर व्यास नदी रखा गया |


    यह नदी व्यास कुण्ड और व्यास जलधारा से मिलकर बना है और यह दोनों कुल्लू के पलाचन गाँव में आपस में मिलते हैं |

    इस नदी का पानी, सतलुज नदी के पानी की तुलना में बहुत ही धीमी धारा में बहता है और इस नदी पर पंडोह झील भी है |

     

    व्यास नदी का महत्व 

    इस नदी का ऐतिहासिक महत्व यह है कि इस नदी के किनारे ही सिकंदर ने भारत पर अपने आक्रमण को रोक दिया था और फिर सिकंदर अपनी मातृभूमि पर लौट गया था |

    भुंतर में पार्वती नदी और हारला नदी इस नदी में मिल जाती है और हिमाचल प्रदेश के भुंतर कुल्लू में सबसे बड़ा हवाई अड्डा है |

     

    व्यास नदी किनारे पर्यटन स्थल 

    इस नदी के किनारे अनेक पर्यटन स्थल है जिनमें से हिमाचल प्रदेश के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के बारे में दर्शाया गया है –


    हिमाचल प्रदेश में पर्यटन स्थल 

    कुल्लू -

    हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में अनेक मंदिर, अनेक सेब के बागान है, जिससे हजारों पर्यटक कुल्लू की तरफ आकर्षित होते है 

    और यह जगह गर्मी के मौसम के लिए एक मनपसंद जगह है |

    मनाली –

    मनाली भी हिमाचल प्रदेश का एक पर्यटन स्थल है और यह हिमाचल प्रदेश का एक हिल स्टेशन है |

    मंडी शहर –

    मंडी शहर में अनेक मंदिर है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है | 

    मंदिरों के बहुलता कि वजह से मंडी शहर को “पहाड़ों का वाराणसी” भी कहा जाता  है |

      

    व्यास नदी पर बने बांध 

    इस नदी पर अनेक बांध बने हुए है जिनमें से पोंग डेम, पंडोह डैम और हरिके डैम प्रमुख है |

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    vyas nadi पर जल विधुत परियोजना 

    इस नदी पर अनेक जल विधुत परियोजना है, जिनमें से शानद जल विधुत परियोजना, पार्वती जल विधुत परियोजना और लारची जल विधुत परियोजना प्रमुख है |

     

    व्यास नदी का इतिहास 

    कहा जाता है कि इस नदी का नाम ऋषि वशिष्ट ने दिया है | 

    ऋषि वशिष्ठ के पुत्रों की म्रत्यु के बाद, वह अपने जीवन से काफी हताश हो गये और फिर 

    वे अपने हाथ पैर बांधकर इस नदी में कूद गये, लेकिन इस पवित्र नदी ने ऋषि के सारे बंधनों को तोड़ दिया 

    और फिर उनको तट पर उतार दिया, तब ऋषि ने इस नदी का “विपाशा” नाम दिया और 

    बंधन से मुक्त करने पर इस नदी को “बंधन की मुक्तिदाता” भी कहा जाता है |

     

    पौराणिक कथाओं के अनुसार (vyas nadi) 

    ऋग्वेद में भी इस नदी का उल्लेख मिलता है |

    इस नदी के किनारे मनाली शहर स्थित है, कहा जाता है कि प्राचीन समय में वहां पर मनु ऋषि का आश्रम हुआ करता था | 

    मनु ऋषि के आश्रम का अर्थ है कि “मनु का अर्थ” या फिर “मनु का आलय” और 

    वर्तमान में मनाली को मनु का आलय से नाम से भी जाता जाता है और 

    इसी आधार पर इस शहर का नाम मनाली शहर पड़ा |

     

    कहा जाता है कि परशुराम, भगवान विष्णु के अवतार थे और परशुराम जी इसी घाटी में निवास करते थे, 

    निरमंड में परशुराम जी का स्थापित मंदिर इसी बात का प्रमाण माना जाता है |

     

    कहा जाता है कि पांडवों ने इसी घाटी में अपने निर्वासन का कुछ समय बिताया था | 

    पौराणिक कथाओं के अनुसार – पांच पांडव में से कुंती पुत्र भीम ने हडिम्ब नाम के 

    एक राक्षस को मार दिया और उस राक्षस की बहन से विवाह कर लिया |


    भीम और हडिम्बा को एक पुत्र हुआ, जिसका नाम घटोत्कच था और 

    घटोत्कच ने महाभारत के युद्ध में भी हिस्सा लिया था और फिर 

    एक योद्धा के रूप में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई |

     

    vyas nadi का संगम 

    यह नदी भारत के पंजाब राज्य के कपूरथला जिले में “हरी का पतन” नामक स्थान पर सतलुज नदी में समहित हो जाती है 

    और आगे चलकर सतलुज नदी भी अरब सागर में गिरती है |


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