गंगा नदी - गंगा नदी का जीवन परिचय - Ganga River in Hindi
गंगा नदी का जीवन परिचय |
गंगा नदी –
गंगा नदी का उद्गम ( ganga nadi ka udgam sthal )–
गंगा नदी का उद्गम (ganga nadi ka udgam sthal ) भारत के उतराखंड राज्य के गंगोत्री स्थल के पास
गोमुख हिमानी से हुआ है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 3900 मीटर है | यह नदी भारत और
बांग्लादेश में बहती है और यह नदी उतराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी तक का
सफ़र तय करती है | इस नदी को भारत में देवी और माता कहा जाता है |
गंगा नदी की लम्बाई –
गंगा नदी की गहराई –
इस नदी गहराई लगभग 33 मीटर है |
गंगा नदी की सहायक नदियों के नाम –
गंगा नदी की अनेक सहायक नदियाँ है इनमें से कुछ नदियों के बारे में
दर्शाया गया है | महाकाली नदी, यमुना नदी, करनाली नदी, कोसी नदी, गंडक नदी, सरयू नदी, महानंदा नदी और सोन नदी आदि नदियाँ इस नदी की सहायक नदियाँ है |
गंगा नदी कौन-कौन से राज्यों में बहने वाली नदी है –
गंगा नदी अनेक राज्यों में बहने वाली नदी है यह नदी भारत की मुख्य नदी
है और यह नदी भारत के 05 राज्यों में बहने वाली नदी है –
उतराखंड –
गंगा नदी उतराखंड में अनेक स्थानों पर बहती है |
देवप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार आदि |
उत्तरपदेश -
उत्तर प्रदेश में गंगा नदी नरोरा, फर्रुखाबाद,
कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और गाजीपुर में बहने वाली नदी है |
बिहार -
बिहार में यह नदी चौसा, बक्सर, पटना, मुंगेर,
सुल्तानगंज, भागलपुर और मिर्जापुर में बहती है |
झारखण्ड –
झारखण्ड में यह नदी साहिबगंज, महाराजपुर, और
राजमहल में बहती है |
पश्चिम बंगाल –
पश्चिम बंगाल में फरक्का, रामपुर हाट, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद, कोलकाता और गंगा सागर में बहने वाली नदी है |
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गंगा नदी की विशेषता –
गंगा नदी एक पवित्र नदी है और यह नदी भारत देश की सबसे लम्बी नदी है |
यह नदी करोडो भारतीय की आस्था का केंद्र है | गंगा नदी को गंगा माता भी कहा जाता
है |
कहा जाता है कि इस नदी में स्नान करने से हमारे सारे पाप धुल जाते है
और यह हजारों साल से करोड़ों भारतीय की आस्था का केंद्र रही है |
गंगा नदी का विशेषता |
गंगा नदी के जल का बहुत अधिक महत्व है बड़े- बड़े धार्मिक त्योहारों पर
गंगा मैया के जल का प्रयोग किया जाता है | लोग यंहा पर दूर दूर से इस नदी का जल
भरने के लिए आते है |
कहा जाता है कि गंगा नदी के जल को घर में रखने से सारी दुष्ट आत्माएं
दूर चली जाती है | साथ ही यह नदी भारत की जीवन रेखा भी है |
गंगा नदी का महत्व –
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी का बहुत ही महत्व है और इसके किनारे
अनेक शहर बसे हुए है | भारत में गंगा नदी को साक्षात् देवी का स्वरूप माना जाता है
और यह एक पवित्र नदी भी मानी जाती है |
कहा जाता है कि इस नदी में स्नान करने से हमारे सारे पाप धुल जाते है
और दूर-दूर से लोग यंहा पर स्नान करने के लिए भी आते है |
बड़े-बड़े त्योहारों पर इस नदी के जल का विशेष प्रयोग किया जाता है और
मान्यता है कि नदी के जल को घर में रखने से सारी दुष्ट आत्मायें दूर चली जाती है |
गंगा नदी की पूजा भी की जाती है और लोग इस नदी के किनारे अन्तिम संस्कार की इच्छा
भी रखते है |
गंगा नदी पर बने बांध -
गंगा नदी पर अनेक बांध बने है और इन बांधों का अपना एक अलग ही महत्व
है |
फरक्का बांध –
यह बांध गंगा नदी पर बना हुआ बांध है | यह बांध
भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है और यह बांध बांग्लादेश की सीमा से 10
कि.मी. की दुरी पर बना हुआ बांध है | फरक्का बांध का निर्माण सन 1974-75 में हुआ
था, जिसे हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया था |
टिहरी बांध –
यह बांध भारत देश के उतराखंड राज्य में बनाया गया
बांध है | टिहरी बांध गंगा नदी की सहायक नदी, भागीरथी नदी पर बनाया गया बांध है |
यह बांध विश्व का पांचवा सबसे ऊँचा बांध है जिसकी ऊंचाई 261 मीटर है | टिहरी बांध
का उपयोग विद्युत उत्पादन और सिंचाई के लिए किया जाता है |
भीमगोड़ा बांध –
इस बाँध का निर्माण सन 1840 में हुआ था और यह
बांध अंग्रेजों ने बनाया था | इस बांध का निर्माण गंगा नदी के पानी को विभाजित कर
उपरी गंगा नहर में मोड़ने के लिए किया गया था |
राष्ट्रीय नदी के रूप में ganga nadi –
नवम्बर, 2008 में गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया
गया |
गंगा नदी के पिता कौन थे –
पुराणों के अनुसार गंगा एक ऐसी नदी है, जो देवलोक, पृथ्वी लोक और
पाताललोक तीनों लोकों में बहने वाली नदी है | गंगा नदी को देवी का स्वरुप मानकर हम
इसे गंगा माता भी कहते है और इसकी पूजा भी
करते है |
एक प्राचीन कथा के अनुसार देवी गंगा को परमपिता
बम्हा जी की पुत्री बताया गया है | कहा जाता है कि गंगा जब अपने पिता ब्रम्हा जी
के साथ देवलोक में अप्सरा का नृत्य देख रही थी, तब किसी कारणवश गंगा को श्राप मिला
और फिर गंगा को गंगा नदी के रूप में धरती लोक में जन्म लेना पड़ा |
एक और पौराणिक कथा के अनुसार – कहा जाता है कि
गंगा भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली है और फिर ब्रम्हा जी के कमंडलु में प्रवेश
करती है |
गंगा नदी और यमुना नदी का संगम प्रयागराज में |
कहा जाता है कि गंगा नदी राजा हिमालय की पुत्री है और इसे धरती पर लाने के लिए भगवान राम के पूर्वजों ने कई वर्षों तक की तपस्या की, तब जाकर गंगा मैया प्रसन्न हुई और फिर ब्रम्हा जी के कमंडलु से निकलती है और फिर भगवान शिव की जटाओं में स्थान पाकर माँ गंगा धरती लोक पर गंगा नदी के रूप में अवतरित होती है |
इस प्रकार अलग – अलग कथाओं के अनुसार गंगा के पिता के नाम का उल्लेख
मिलता है |
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गंगा नदी का जन्म कब हुआ ?
माता गंगा का जन्म वैशाख शुक्ल तिथि सप्तमी के दिन माना जाता है और कहा जाता है कि वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि के दिन माँ गंगा पृथ्वीलोक पर अवतरित हुई थी |
गंगा का विवाह –
महाभारत में राजा शांतनु ने गंगा के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा, तभी
गंगा ने कहा कि मेरी एक शर्त है में कोई भी काम अपनी इच्छानुसार करुँगी | आप कभी
भी सवाल नहीं करोगे जिस दिन सवाल किया उस दिन में तुम्हे छोड़कर चली जाऊँगी |
राजा ने गंगा की शर्त स्वीकार की और राजा शांतनु और गंगा का विवाह हो
गया | कहा जाता है कि राजा शांतनु और गंगा की कुल आठ संतान हुई जिनमें से सात
संतान को गंगा ने जल समाधि दे दी थी और आठवीं संतान का नाम देवव्रत भीष्म था |
देवव्रत को इछाम्रत्यु का भी वरदान प्राप्त था | कह जाता है कि यह
आठों संतान वसु थे जिनको श्राप के कारण पृथ्वी लोक पर जन्म लेना पड़ा |
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गंगा नदी के नाम –
गंगा नदी अलग- अलग जगह पर अलग- अलग नाम से जानी जाती है | गंगोत्री से
लेकर गंगासागर तक गंगा नदी के कुल 108 नाम बताये गये है और इन 108 नामों का उल्लेख
पुराणों में मिलता है |
जान्हवी –
एक समय की बात है कि ऋषि जह्नु यज्ञ कर रहे थे तभी गंगा नदी के वेग से
ऋषि जह्नु का सारा समान बिखर गया था | तब ऋषि जह्नु ने गुस्से में गंगा का सारा
पानी पी लिया फिर गंगा ने ऋषि जह्नु से क्षमा याचना की और ऋषि जह्नु, गंगा की
विनती से प्रसन्न हो गये |
उसके बाद ऋषि जह्नु ने गंगा को अपनी बेटी के रूप में स्वीकार कर लिया
और गंगा को उन्होंने अपने कान से बाहर
निकाल दिया, इस प्रकार से इसे जान्हवी भी कहा जाता है |
शिवाया –
भगवान शिव ने गंगा नदी को अपनी जटाओं में स्थान दिया था इसलिए इसे
शिवाया भी कहा जाता है |
दुर्गाय नमः –
गंगा नदी को दुर्गा देवी का भी रूप माना गया है इसलिए इसे दुर्गाय नमः
भी कहा जाता है |
त्रिपथगा –
भगवान शिव की जटा से गंगा पृथ्वी लोक, आकाश और पाताल लोक में गमन करती
है | यह नदी तीन रास्तों से बहती है इसलिए इसे त्रिपथगा भी कहा जाता है |
हुगली नदी –
गंगा नदी हुगली शहर के पास से बहती है जिसके कारण इस नदी को हुगली नदी
भी कहा जाता है | कोलकाता से बंगाल की खाड़ी तक गंगा नदी को हुगली नदी कहा जाता है
|
भागीरथी नदी –
भगीरथ की कठोर तपस्या के कारण गंगा प्रसन्न होकर पृथ्वी लोक पर अवतरित
होती है जिसके कारण इसे भागीरथी नदी भी कहा जाता है |
मन्दाकिनी -
आकाश में पिंड व तारों के समूह को आकाश गंगा कहा जाता है | गंगा नदी
को आकाश की ओर ले जाने वाली मन्दाकिनी है जिसके कारण इसे मन्दाकिनी भी कहा जाता है
|
पण्डित –
यह नदी पंडितों के समान पूज्यनीय है इसलिए इसे पंडिता समपुज्या भी कहा
जाता है |
देव नदी –
यह नदी देवताओं के लिए भी पवित्र नदी मानी गयी है और यह स्वर्ग की
भी नदी है, जिसके कारण इसे देव नदी भी कहा
जाता है | कहा जाता है कि इसका यह नाम
स्वर्ग से मिला है |
मुख्या –
यह नदी भारत की मुख्य नदी है इसलिये इसे मुख्या नदी भी कहा जाता है |
उत्तरवाहिनी –
गंगा नदी हरिद्वार से मैदानी
यात्रा करते हुए इलाहाबाद पंहुचती है और काशी में एक वक्र लेती है इसलिये इसे
उत्तरवाहिनी भी कहा जाता है |
इस प्रकार से गंगा नदी के कुल 108 नाम है कुछ नामों का वर्णन यंहा पर
दिया गया है |
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गंगा नदी का इतिहास –
गंगा नदी के इतिहास के बारे में अनेक प्रकार की कथाएँ या विवरण किया
गया है आज हम हिन्दू धर्म के अनुसार गंगा नदी के इतिहास के बारे में जानने का
प्रयास करते है |
पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा नदी का जन्म कैसे हुआ –
एक समय में बाहुक नाम के राजा हुआ करते है दुश्मनों ने उनके राज्य पर
आक्रमण कर दिया और उनके राज्य को जीत लिया | अब बाहुक राजा अपनी पत्नी के साथ वन
में चले गये, बुढ़ापे के कारण बाहुक राजा की कुछ दिनों में ही म्रत्यु हो गयी |
उनके गुरु का नाम ओर्व था, गुरु ओर्व ने उनकी पत्नी को सती नहीं होने
दिया क्योंकि यह जानते थे कि वह गर्भवती है | इस बात का पता जब रानी की सौतन को
चला तो उन्होंने विष दे दिया परन्तु विष का गर्भ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा |
बालक विष- गर के साथ ही उत्पन्न हुआ इसलिए वह बालक सगर कहलाया | राजा
सगर की दो रानियाँ थी, जिनका नाम सुमति और केशिनी था |
रानी केशिनी को एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम असमंज था और रानी सुमति
के गर्भ के एक तुम्बा निकला, जिसके फटने पर 60000 पुत्रों की प्राप्ति हुई |
असमंज आप में मग्न रहता था और वह अनोखे कार्य करता था | एक समय की बात
है कि असमंज ने छोटे बच्चों को सरयू नदी में डाल दिया, जिससे उनके पिता राजा सगर
बहुत नाराज हुए और उसका त्याग कर दिया |
जाते-जाते असमंज ने उन बच्चों को अपने योगबल से जीवित कर दिया और फिर
वह वन में चले गये | बाद में सभी को पश्चाताप भी हुआ, असमंज के पुत्र का नाम
अंशुमन था |
एक बार राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया, तभी इंद्र ने यज्ञ का घोडा
चुरा लिया और कपिल मुनि के आश्रम में ले जाकर छोड़ दिया |
राजा सगर ने घोड़े को खोजने के लिए सुमति के पुत्रों को भेजा | जब साठ
हजार राजकुमारों को घोड़ा कहीं भी नहीं मिला तो उन्होंने सभी तरफ से पृथ्वी खोद
डाली | पृथ्वी खोदने के बाद उन्होंने उत्तर-पूर्व दिशा में घोड़े को कपिल मुनि के
आश्रम में देखा तब वे राजकुमार कपिल मुनि को बुरा-भला कहने लगे और अपने शस्त्र भी
उठाये |
राजकुमारों के इस तरह के व्यव्हार से कपिल मुनि क्रोधित हो गये और
उन्होंने राजकुमारों को भस्म होने का श्राप दे दिया | इसके बाद राजकुमारों के शरीर
से आग निकलने लगी और उस आग से सभी राजकुमार भस्म हो गये |
बाद में राजा सगर ने घोड़े को खोजने के लिये अपने पौत्र अंशुमान को
भेजा, अंशुमान घोड़े को खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम में पंहुचे, कपिल मुनि के पास
जाकर उनके चरणों में प्रणाम किया और विनम्रता पूर्वक निवेदन किया |
कपिल मुनि, अंशुमान के निवेदन से प्रसन्न हो गये और यज्ञ का घोड़ा वापस
कर दिया | साथ ही कहा कि अपने चाचाओं का उद्धार केवल गंगा जल से ही हो सकता है |
उसके बाद अंशुमान ने अपने पुरे जीवन तपस्या की, परन्तु वह गंगा को
पृथ्वी पर नहीं ला पाया | अंशुमान के बाद उसके पुत्र दिलीप ने भी जीवनभर तपस्या
की, लेकिन दिलीप भी गंगा को पृथ्वी लोक पर नहीं ला पाए |
दिलीप के पुत्र भागीरथी हुए- भागीरथ का अर्थ होता है “भाग्य का रथी” |
भगीरथ ने भी अपने जीवन में तपस्या की और भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा ने
पृथ्वी लोक पर आना स्वीकार किया |
गंगा नदी का इतिहास |
गंगा ने भगीरथ से कहा कि “ महाराज में गंगा आपकी इच्छा के अनुसार
पृथ्वी लोक पर आने के लिये तैयार हूँ, परन्तु मेरी तेज धारा को पृथ्वी पर कौन
रोकेगा | अगर मेरी तेज धारा ना रोकी गयी तो मेरी तेज धारा धरती के स्तर को तोडती
हुई पाताल लोक में चली जायेगी” |
तभी भगीरथ ने हाथ जोड़कर गंगा से इसका उपाय पूछा- तभी गंगा ने कहा कि
महाराज मेरी तेज धारा को सिर्फ भगवान शिव ही रोक सकते है |
फिर भगीरथ ने भगवान शिव की अराधना की और भगवान शिव को प्रसन्न किया |
भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में स्थान दिया और फिर गंगा को पृथ्वी लोक पर एक
नदी के रूप में प्रवाहित किया, जिसे हम गंगा नदी के नाम से जानते है | भगवान शिव
की जटाओं से निकलने के कारण गंगा को जटाशंकरी भी कहा जाता है |
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गंगा नदी हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है ?
गंगा नदी को एक देवी अर्थात एक नदी माना जाता है और इसके जल को उपचारक गुणों के लिए माना जाता है | गंगा नदी का सिंचित जल भारत में कृषि भूमि को उपजाऊ बनाता है और अनेक फसलों में होता है |
कुल मिलाकर –
गंगा नदी का एक अलग ही महत्व है और इस नदी के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित
है और यह नदी एक पवित्र नदी मानी जाती है और कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान
करने से हमारे सारे पाप धुल जाते है | साथ ही इसका धार्मिक, पौराणिक और संस्कृतिक
महत्व भी है |
FAQ -
गंगा नदी भारत के किन-किन राज्यों में बहती है ?
गंगा नदी भारत के पांच राज्यों में बहती है, जिनके नाम उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल है |
गंगा नदी बिहार के कितने जिले से होकर गुजरती है ?
गंगा नदी बिहार राज्य में कुल 12 जिले से होकर गुजरती है |
बांग्लादेश में गंगा नदी को क्या कहा जाता है ?
बांग्लादेश में गंगा नदी को पद्मा कहा जाता है |
पुराणों में गंगा नदी के कितने नामों का वर्णन मिलता है ?
पुराणों के अनुसार गंगा नदी के कुल 108 नाम है |
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